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अनकही दिल की बाते

चलो आओ आज मिल के कुछ बाते करते है, एक दूसरे को जानने की एक नई शुरवात करते है| बनना चाहता हू तेरे आगे एक खुली किताब जिसकी आत्मा के जान जाये तू सारे राज़| चाहता नहीं तेरे से ज़्यादा मैं कुछ ख़ास,  बस एक चीज़ कभी ख़त्म ना हो तेरा मेरे पर विश्वास| तेरी ऊंची उड़ान में तेरा सहारा हूँ , तेरी सोइ हुई ज़िन्दगी में होने वाला उजाला हूँ| तेरे सपनो  को अपना बना लू ,  तेरे से ज़्यादा उनको पाने में एक नींव इमारत की जरा मैं भी डालू| तेरे प्यार से उठा हुआ विश्वास वापस ले आउ, तेरी संगीत की वाणी में एक नया प्यार का सुर मैं भी लगाऊ| प्यार से ज़्यादा है यह एक नई दोस्ती की शुरवात, पर पूछता हुँ तरसे क्या मैं इस काबिल भी हु क्या? चाहता हु बस तुझे अपना दिल से बनना, जहाँ पर शुरू हो प्यार और दोस्ती का एक नया आशियाना| बेरंग ज़िन्दगी में रंग भर दू, तेरी हस्सी की खिलकारियो से तेरा मन हल्का कर दू| फिर से करता हु खुद से एक सवाल, क्या तेरे सच्ची इन बातो के बाद क्या मैं तेरे काबिल हु क्या?