आज़ाद भारत की रोती बेटी
आज़ादी मिली हमे अंग्रेज़ो से पर कितने हम आज़ाद है,
अंग्रेज़ो की गुलामी से मुक्त हो गए पर कितनी,
अब इंसानियत है यह खुद में एक राज़ है,
जो भारत पहले पहन कर चलता था सोने का ताज़ ,
आज पहना उसने बलात्कार जैसे काटो का ताज़ है,
आपमें से कितने लोग सहमत है की आज़ाद भारत की बेटी आज आज़ाद है?
जहाँ दुर्गा पूजा प्रमुख त्यौहार हुआ,वहाँ ना जाने कितनी दामनी का दमान तार-तार हुआ,
कही दिन दहाड़े तो कही सरे आम हुआ, सम्मान बस आज एक नारी का खिलवाड़ हुआ,
है! वही दुर्गा पूजा प्रमुख त्यौहार हुआ,
पतंग की तरा उड़ना चाहती थी वो,
आसमानो की उचाईयो को छूना चाहती थी वो,
चील सी नज़र ने नोच दिया उसको,
समाज की बेड़ियों में बांध दिया पंछी के उड़ते पंख को,
पाना चाहते हो असली आज़ादी तो बेटी को सम्मान दो,
कम न ज़्यादा कम से कम सर ऊँचा करने का अहसास दो,
भारत की आज़ाद बेटियो को चाँद सितारों से ऊँचा स्थान दो ,
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